कुदरत ने बख्शी जो चीजे
इंसान ने मिलावट कर डाली
ये कैसी अजब खुदगर्जी है
ईमान में मिलावट कर डाली
जहां सोने चांदी की थी दुनिया
ना सोना रहा ना चांदी रही
पीतल में मिलावट कर डाली
कुदरत ने ..........
जहाँ दूध दही की नदिया थी
पानी में मिलावट कर डाली
ये कैसी अजब खुद गरजी है
इम्मान में मिलावट कर डाली
जहां गंगा यमुना सरस्वती थी बहती
वहां खून की नदिया कर डाली
कुदरत ने ..........
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