Tuesday, January 19, 2010

तुमने ना सुनी कोई बात मेरी

तुमने ना सुनी कोई बात मेरी
वरना बहुत कुछ बताना था तुम्हे
होठो से ना कह कर दिल से कहना था
तुम ने ना समझा कभी अपना हमें
वरना हर हाल दिल का सुनाना था तुम्हे
हम तड़पते रहें दिल का हाल कहने के लिए
तुम मिले एक बार और हंस के चल दिए

3 comments:

shama said...

swagat hai!

kshama said...

Anek shubhkanayen!

अजय कुमार झा said...

हुजूर स्वागत है सबका गम बांटिए और खुशियां भी शुभकामनाएं हैं । फ़ोंट साईज थोडा बडा करिए और तस्वीरों से सजाईये तो पोस्ट और भी सुंदर बनेगी
अजय कुमार झा